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मेडिकल कालेज, जौनपुर में मोतियाबिंद जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन।*

मेडिकल कालेज, जौनपुर में मोतियाबिंद जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन।*

न्यूज़ खबर इंडिया 

 *जौनपुरः* उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जौनपुर की प्राचार्या प्रो० डा० रूचिरा सेठी एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो० डा० ए०ए०जाफरी के दिशा निर्देश में नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डा० चन्द्रभान द्वारा *दिनांक 04 जून, 2025 को मोतियाबिंद जागरूकता* कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मेडिकल कालेज की प्राचार्या प्रो० डा० रुचिरा सेठी रही। उन्होने अपने उद्बोधन में बताया कि यह माह 01 जून से 30 जून, 2025 तक हमें मोतियाबिंद जागरूकता के तौर पर मनाना है। कार्यक्रम में उपस्थित मरीजो एवं उनके तीमारदार को बताया कि मोतियाबिन्द का आपरेशन बहुत लम्बा नहीं होता है। आपको अपने परिवार में एवं आस-पास के लोगों को जागरूक करने की आवश्यता है कि समय-समय पर आँख की जाँच कराते रहें, जिससे यदि किसी को भी मोतियाबिन्द की समस्या है तो उसका समय से उपचार किया जा सके। किसी लम्बी बीमारी या मधुमेय से पीड़ित व्यक्ति को मोतिया बिन्द की समस्या जल्द हो जाती है। मेडिकल कालेज में जाँच की सुविधा पूर्ण रूप से उपलब्ध है। जल्द ही कालेज के चिकित्सक ऑपरेशन की प्रक्रिया की तरफ बढ़ जायेंगे और यह सुविधा भी आपको जल्द ही मिलने वाली है।

नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डा० चन्द्रभान ने मोतियाबिन्द से बचाव के विभिन्न सुझाव दिये। *(1) नियमित नेत्र जांच कराएं-* उम्र बढ़ने के साथ-साथ हर 6 माह-1 साल में आंखों की जांच कराना जरूरी है ताकि शुरूआती अवस्था में मोतियाबिंद की पहचान हो सके। *(2) धूप से आंखों* को बचाएं तेज धूप में UV किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बाहर जाते समय धूप का चष्मा (UV प्रोटेक्शन वाला) पहनें। *(3) धूम्रपान और शराब से बचें-* ये आदते मोतियाबिन्द के खतरे को कई गुना बढ़ा देती हैं। (4) ब्लड शुगर और बीपी नियंत्रित रखें डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से मोतियाबिंद जल्दी हो सकता है। नियमित जांच करवाएं। *(5) स्वस्थ आहार लें-* हरी पत्तेदार सब्जियाँ गाजर, संतरा, आँवला, नट्स और विटामिन A, C और E युक्त आहार आंखों के लिए लाभकारी होते हैं।

तथा उन्होनें मातियाबिंद के के उपचार के बारे में बताया *(1) प्रारंभिक अवस्था* में नजर कमजोर होने पर चश्में की सहायता ली जा सकती है। अच्छी रोशनी में पढ़ने-लिखने की सलाह दी जाती है। *(2) अग्रिम अवस्था में-* जब मोतियाबिंद से दृष्टि धुंधली हो जाए और दैनिक कार्यों में बाधा आने लगे, तब सर्जरी (फेको इमल्सिफिकेशन) में टांके नहीं लगते और रोगी कुछ ही दिनों में सामान्य जीवन जी सकता है। ध्यान रखेंः मोतियाबिंद का समय पर इलाज न करने पर स्थायी अंधापन हो सकता है। इसका कोई घरेलू इलाज या दवा से स्थायी समाधान नहीं है केवल सर्जरी ही कारगर है।

सहायक आचार्य, डा० सी०बी०एस० कर्नल पटेल ने बताया कि मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है जिसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन जागरूकता, समय पर जांच और उचित इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है इलिए, हमें खुद भी जागरूक रहना चाहिए और दूसरों को भी जागरूक करना चाहिए।

चिकित्सा अधीक्षक डा० विनोद कुमार ने बताया कि मातियाबिंद को लेकर सही जानकारी फैलाना, ग्रामीण इलाकों में नेत्र चिकित्सा शिविर आयोजित करना और बुजुर्ग को नियमित जांच के लिए प्रेरित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

सहायक आचार्य, डा० अलिशा अंजुम ने मोतियाबिंद के बिभिन्न लक्षणों को प्रोजेक्टर के माध्यम से मरीजो एवं उनके तीमारदार को दिखाकर विस्तृत जानकरी दी एवं उसके बचाव तथा उपचार के बारे में लोगों को जागरूक किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डा० मो० शादाब द्वारा किया गया। उन्होंने कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित समस्त का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षक डा० जितेन्द्र, डा० सरिता पाण्डेय, डा० राजश्री यादव, डा० अरविन्द पटेल, डा० बृजेश, डा० अभिषेक, डा० पंकज, डा० जयसूर्या, डा अजय, डा० दिनेश, डा० रेनू, डा० स्वाती, डा० हीरा स्माइल, डा० रिनु कोहली एवं नर्सिंग आफिसर तथा मरीज व उनके तीमारदार व कर्मचारीगण उपस्थित रहें।

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