
न्यूज़ खबर इंडिया
लख़नऊ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी के जिलों में कई गावों में पानी भरा है। यदि कहा जाए कि बाढ़ से तबाही मची है तो गलत नहीं होगा। लगभग सूखा रहने वाले बुंदेलखंड के जिलों में भी इस बार बाढ़ है। सीएम योगी ने अधिकारियों को मौके पर जाकर राहत बचाव के लिए निर्देशित किया है। साथ ही 11 मंत्रियों की टीम भी 12 जिलों में बाढ़ निगरानी के लिए डटी हुई है।
प्रयागराज और वाराणसी में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रयागराज में सोमवार को गंगा-यमुना में दो दिनों से बढ़ रहे पानी ने प्रयागराज और आसपास के इलाके में पांच लाख की आबादी के सामने गंभीर संकट पैदा कर दिया है। एक ओर जहां सैकड़ों घर बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं हजारों लोगों के सामने खाने और पानी का संकट है। दोनों नदियों का जलस्तर 86 मीटर के पार है। यह खतरे के निशान 84.73 मीटर से ऊपर है।
सोमवार शाम थोड़ी राहत भरी सूचना आई कि यमुना का जलस्तर घटने लगा है और गंगा का स्थिर है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हेलिकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर दो राहत शिविरों को भी देखा।
मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर और बलिया में गंगा नदी उफान पर है। भदोही को छोड़कर पांचों जिलों में गंगा खतरा बिंदु के ऊपर बह रही है। छह जिलों के 500 से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं। वाराणसी में 2022 का रिकॉर्ड तोड़ने के बाद अब गंगा का पानी ट्रॉमा सेंटर वाली सड़क पर पहुंच चुका है। काशी में 84 घाट के 3000 से अधिक मंदिर डूब चुके हैं। अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिल रही।