
न्यूज़ खबर इंडिया
गाज़ीपुर. जिले में झोलाछाप और बिना पंजीयन संचालित हो रहे अवैध अस्पतालों का मकड़जाल समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। क्लीनिक का लाइसेंस लेकर अस्पतालों का संचालन करने के साथ मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। सीएमओ कार्यालय से महज दो से तीन किलोमीटर दूर बिना पंजीयन अस्पताल चल रहे हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानपूर्ति हो रही है।
कुछ दिन तक जांच व रिपोर्ट आने के बाद कही जाती है, इसके बाद मामले को फाइलों में बंदकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। निजी अस्पतालों के संचालन को लेकर कई महत्वपूर्ण कागजातों की पूर्ति जरूरी होती है।इसमें अग्निशमन विभाग से एनओसी, अस्पताल के भवन का मानचित्र, चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का प्रमाण-पत्र, संचालक, चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियों का शपथ पत्र, बेड की संख्या और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी सहित अन्य महत्वपूर्ण कागजों की मांग की जाती है।
इसके बाद ऑनलाइन फार्म भरने के बाद ही अस्पताल को स्वीकृति दी जाती है। जबकि स्थिति यह है कि इन सब झंझटों से बचने के लिए आसानी से कम कागजातों पर क्लीनिक का लाइसेंस लेकर अस्पताल का संचालन शुरू हो जाता है।
127 निजी अस्पताल, दूसरों के प्रमाणपत्र पर 77 पंजीकृत. जिले में पंजीकृत निजी अस्पतालों की अच्छी खासी संख्या है। वर्तमान में करीब 127 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। इसमें 77 अस्पतालों का पंजीकरण दूसरों के प्रमाणपत्रों पर है। ऐसे में अस्पताल का संचालन कर रहे ये अप्रशिक्षित लोग उपचार और सर्जरी के नाम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मानक में होने की बात कहकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। यहीं नहीं घटना के बाद भी कार्रवाई के नाम पर इनकी तंद्रा टूटने का नाम नहीं ले रही है। पंजीकरण कागजों में जिस चिकित्सक की डिग्री दी गई है, उन्हें पार्ट टाइम और एएनएम को फूल टाइम वर्क करने के साथ संचालक को सिर्फ सहयोगी दर्शाया जा रहा है।
पंजीकरण के लिए ये कागजात जरूरी
अग्निशमन विभाग का एनओसी।
जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपटान प्रमाण-पत्र।
डॉक्टरों के पंजीकरण सहित स्वास्थ्य कर्मियों की डिग्री।
चिकित्सा उपकरण विवरण।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी।
जिला प्रशासन से मिले निर्देश पर सीएचसी प्रभारी चिकित्साधिकारियों को ऐसे अस्पतालों की जांच और कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। फिर से अस्पतालों के लाइसेंस की वैधता और मानकों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी