
न्यूज़ खबर इंडिया
आजमगढ़। जिले में भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री महेंद्र मौर्य पर हुए हमले और पुलिस की कथित लापरवाही के खिलाफ बुधवार को डीएम कार्यालय के बाहर भाजपा कार्यकतार्ओं और समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा। इस दौरान “आजमगढ़ पुलिस से भाजपाजनों को बचाइए योगी जी…”, “आमजन की सुरक्षा करो आजमगढ़ पुलिस…” जैसे नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए और जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई। महेंद्र मौर्य ने बताया कि बीते 28 अगस्त 2025 की रात को सिधारी थाना क्षेत्र में बौरहवा बाबा मंदिर से घर लौटते समय कुछ अज्ञात अपराधियों ने उन पर जानलेवा हमला किया। उन्होंने तत्काल डायल 112 के माध्यम से पुलिस को सूचना दी और अगले दिन सिधारी थाने में तहरीर दी। मौर्य ने आरोप लगाया कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी की और चार दिन तक टालमटोल करती रही। इतना ही नहीं, पुलिस ने तहरीर बदलने का दबाव भी बनाया। डीआईजी को शिकायत के बाद पांचवें दिन मुकदमा तो दर्ज हुआ, लेकिन सिधारी थाने के एसओ ने मामूली धाराओं में केस दर्ज कर अपराधियों को संरक्षण देने का प्रयास किया।
महेंद्र मौर्य ने सिधारी थाने की कार्यशैली को अपराधियों के पक्ष में बताते हुए कहा कि पुलिस का यह रवैया न केवल उनके साथ अन्याय है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा, “मैंने पूरी जिंदगी भाजपा की सेवा की, लेकिन आज अपनी ही सरकार के पुलिस प्रशासन के उत्पीड़न का शिकार हो रहा हूँ। अगर मेरी हत्या होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी।” मौर्य ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और आधुनिक तकनीकों के उपयोग की मांग की ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। महेंद्र मौर्य ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी को संबोधित एक शिकायती पत्र जिला प्रशासन को सौंपा। इस दौरान उनके समर्थन में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय लोग जुटे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा करते हुए हाल के अन्य मामलों में भी पुलिस की लापरवाही का जिक्र किया। पूर्व जिला महामंत्री ब्रजेश यादव ने कहा कि महेंद्र मौर्य सामाजिक मुद्दों की लड़ाई लड़ते हैं, फिर भी प्रशासन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहा है। उन्होंने मांग की कि पूरे जनपद में पीड़ितों की तहरीर को अक्षरश: दर्ज किया जाए और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सवाल उठाया, “आखिर पुलिस किसके दबाव में कार्रवाई नहीं कर रही? देरी से मुकदमा दर्ज होने से अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।”