
न्यूज़ खबर इंडिया
जौनपुर। उच्चतम न्यायालय द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य करने के निर्णय से शिक्षकों में गहरा आक्रोश है। इसी कड़ी में सोमवार को अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के बैनर तले जिले के सैकड़ों शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया और इस फैसले को “काला कानून” बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की।
जिला संयोजक सत्येंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने कहा कि इस फैसले से लाखों शिक्षकों और उनके परिवारों का भविष्य खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्णय से भयभीत होकर प्रदेश के कई शिक्षक आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हुए हैं।
शिक्षकों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मांग की कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय में तत्काल हस्तक्षेप किया जाए। उनका कहना था कि वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी गई थी, लेकिन अब सभी पर अनिवार्यता थोपना अन्यायपूर्ण है।
सह संयोजक डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. रत्नेश सिंह, डॉ. अरविंद प्रकाश सिंह समेत कई पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि इस निर्णय से देशभर के 20 लाख से अधिक शिक्षक असमंजस और गहन चिंता में हैं।
शिक्षकों की प्रमुख मांगें:
न्यायालय का निर्णय भविष्य के लिए लागू हो, 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर नहीं।
अनुभवी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित की जाए।
लाखों शिक्षकों को बेरोजगारी से बचाने के लिए सरकार त्वरित नीतिगत/विधायी कदम उठाए।
प्रदर्शन के अंत में शिक्षकों ने सिटी मजिस्ट्रेट इंद्र नंदन को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर मिथलेश यादव, देवकी देवी, आशीष सिंह, अरविंद सिंह, प्रमोद कुमार सहित हजारों की संख्या में शिक्षक मौजूद रहे।