यूपीवाराणसी

वनगमन की लीला का मार्मिक दृश्य राम बिन अयोध्या जैसे जल बिन मछली

वनगमन की लीला का मार्मिक दृश्य राम बिन अयोध्या जैसे जल बिन मछली

न्यूज़ खबर इंडिया संवाददाता

वाराणसी।    वनगमन की लीला में प्रभु श्री राम का रामत्व दिखा।जिन्हें राज्य का लोभ नहीं और वन जाने का कोई दुख नहीं।इसलिए तो कृपासिंधु करुणानिधान राम का आदर्श चरित्र करोड़ों सनातनियों की आस्था के केंद्र में सदा ही रहा है।

श्री आदि रामलीला लाट भैरव वरुणा संगम काशी के तत्वावधान में राम वनगमन के मार्मिक प्रसंग का मंचन हुआ।गुरु वशिष्ठ के चरणों में आदरपूर्वक नमन कर 14 वर्षों के लिए वनवास के लिए चलें।वल्कल धारण किए भातृत्व प्रेम में विह्वल लक्ष्मण, रघुकुल शिरोमणी राम और उनकी चरणानुरागिणी जानकी को वन जाता देख अयोध्यावासियों की दशा जैसे जल बिन मछली सी हो गयी।भावपूर्ण मंचन से लीला प्रेमियों के भी युगल नेत्रों से प्रेमाश्रुओं की धारा बहने लगी।प्रेमवश अयोध्या के समस्त नर- नारी राम का अनुगमन करते तमसा नदी के तट तक आ पहुंचें।जगह- जगह भक्तों द्वारा भोग आरती की जा रही थीं।रामायण मण्डली प्रसंगानुसार अयोध्याकांड के दोहे व चौपाई का गायन कर रही थीं।आगे श्रृंगवेरपुर में निषादराज गुह से भेंट होती है।रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन भगवान घंडईल पार करेंगे।

इस अवसर पर समिति की ओर से व्यास दयाशंकर त्रिपाठी, सहायक व्यास पंकज त्रिपाठी, प्रधानमंत्री कन्हैयालाल यादव, केवल कुशवाहा, संतोष साहू, श्यामसुंदर, मुरलीधर पांडेय, रामप्रसाद मौर्य, गोविंद विश्वकर्मा, धर्मेंद्र शाह, शिवम अग्रहरि, जयप्रकाश राय, महेंद्र सिंह, कामेश्वर पाठक, राजू प्रजापति आदि रहें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!