
न्यूज़ खबर इंडिया संवाददाता
जौनपुर: कांग्रेस के लगाये गये आपातकाल के विरोध काला दिवस के रूप मे जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के नेतृत्व मे मनाया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप मे उत्तर प्रदेश सरकार मे मंत्री संजीव गोंड एव विशिष्ट अतिथि के रूप मे काशी क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष महेश चंद श्रीवास्तव उपस्थित रहे। कार्यक्रम मे पहले आपात काल के समय जेल मे बंद लोकतंत्र सेनानी को सम्मानित किया गया उसके बाद एक संगोष्ठी आयोजित हुई।
मुख्य अतिथि संजय गोंड ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम आज उस काले दौर को याद कर रहे हैं प्रेस की आजादी खत्म कर दी गई थी बिना केस दर्ज किए पत्रकारों को जेल भेजा गया उस समय कांग्रेस ने बार-बार राष्ट्रपति शासन का गलत इस्तेमाल किया लेकिन, आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ रहा है ये बात कांग्रेस को पसंद नहीं आती देश 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 1975 में कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने अपनी हार छुपाने के लिए पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया उस समय विपक्ष की आवाज दबा दी गई, लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का झूठा नारा दिया और चुनाव में धोखा किया था।
विशिष्ट अतिथि के रूप मे संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए महेश चंद श्रीवास्तव ने कहा कि 1975 में 25 और 26 जून की दरम्यानी रात से 21 मार्च 1977 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आज इस आपातकाल को 49 साल पूरे हो गए तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी।
एम एल सी बृजेश सिंह प्रिंसू ने कहा कि आपातकाल का मुख्य कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के कारण हुई उस फैसले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव प्रचार अभियान में कदाचार का दोषी करार दिया गया था। दरअसल, 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी बड़े अंतर से जीती थीं। पार्टी को भी बड़ी जीत दिलाई थी। प्रतिद्वंद्वी राजनारायण ने इंदिरा की जीत पर सवाल उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया। राजनारायण ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया है। मामले की सुनवाई हुई और इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम देश में कई ऐतिहासिक घटनाओं की वजह बना।
पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह जो खुद 17 वर्ष कि अल्पायु मे मीसा एक्ट के तहत जेल मे बंद थे, ने कहा कि
आपातकाल के दौरान देशभर में चुनाव स्थगित हो गए थे।आपातकाल की घोषणा के साथ हर नागरिक के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए लोगों के पास न तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार था, न ही जीवन का अधिकार था, पांच जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद समय था। 25 जून 1975 को घोषणा के बाद 21 मार्च 1977 तक यानी की करीब 21 महीने तक भारत में आपातकाल लागू रहा।
जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण जैसे बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया था कि जेलों में जगह ही नहीं बची। प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। हर अखबार में सेंसर अधिकारी रख दिये गये थे। उस सेंसर अधिकारी की अनुमति के बिना कोई खबर छप ही नहीं सकती थी। अगर किसी ने सरकार के खिलाफ खबर छापी तो उसे गिरफ्तारी झेलनी पड़ी। आपातकाल के दौरान प्रशासन और पुलिस ने लोगों को प्रताड़ित किया, जिसकी कहानियां बाद में सामने आईं।